Saturday, 3 October 2015

 भारत सरकार के खेल मंत्रालय की ओर से चीन में अगस्त में आयोजित युवा एक्सचेंज 2015 समारोह के तहत 200 भारतीय युवाओं ने 20 से 27 अगस्त तक चीन के कई शहरों का भ्रमण कर वहां की कार्यप्रणाली, साहित्य, संस्कृति आदि से रूबरू हुए। इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के सभ्याचार, अर्थव्यवस्था, परंपरा, संस्कृति और युवा लोगों की सोच के प्रति आपसी समझ मज़बूत करना था। युवा एक्सचेंज 2015 समारोह का आयोजन भारत सरकार के खेल मंत्रालय और चीन के ऑल चाईना यूथ लीग ने मिलकर किया।
इस 8 दिवसीय यात्रा के दौरान भारत सरकार खेल मंत्रालय के सचिव राजीव गुप्ता के नेतृत्व में भारत के विभिन्न प्रांतों से आए 200 युवाओं ने दो अलग-अलग ग्रुपों में चीन के पेइचिंग, हांगचो, शांगहाई, शीआन और क्वांगचो शहरों का सघण भ्रमण किया। इस दौरान उन्हें वहां की लाइफ स्टाइल, वर्किंग शैली, साफ-सफाई, शिक्षा, महिला सशक्तीकरण, कॉलेज स्कूल में शिक्षा प्रणाली आदि के बारे में जानकारी दी गई। युवाओं ने अनेक शहरों के विभिन्न यूनिवर्सिटी, ऐतिहासिक स्थलों, बड़ी-बड़ी कंपनियां, वॉलंटियर केंद्रों, उद्योग व कारखाने, ख्याति प्राप्त पयर्टन स्थल आदि देखा और व्यापक जानकारियां हासिल कीं। प्रतिनिधि दल में शामिल ज्यादातर सभी युवाओं का कहना था कि चीन आकर उन पर चीनी संस्कृति और चीनी समाज की गहरी छाप पड़ी है।
युवा दल में शामिल अंकुर कंठ ने बताया कि चीन के तेजी से विकास करने का एक महत्वपूर्ण कारण यह है कि चीन के लगभग सभी युवा स्किल्ड हैं। वे अनुशासन विधि व्यवस्था का निष्ठापूर्वक पालन करते हैं। वे अपने कर्तव्यों का ईमानदारी पूर्वक निर्वहन भी करते हैं। दूसरी ओर भारत में इन बातों की अनदेखी की जाती है।
यात्रा के दौरान 200 युवाओं ने चीन में विभिन्न क्षेत्रों के लोगों, विशेषकर चीनी युवाओं से बातचीत की। दोनों देशों के युवाओं के बीच आवाजाही व आदान-प्रदान बढ़ाना इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य रहा। क्योंकि पूरे विश्व को आज युवाओं की जरूरत है, चीन और भारत में सबसे बड़ी आबादी युवाओं की है।
अपनी यात्रा में युवाओं को ग्लोबल सिटीजन बताते हुए नेहरू युवा केंद्र संगठन (एनवाईकेएस) के महानिदेशक मेजर जनरल दिलावर सिंह ने कहा कि चीन और भारत एक-दूसरे से कई क्षेत्रों में सीख सकते हैं, युवाओं का आदान-प्रदान इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। उधर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी युवाओं के लिए स्पीड, स्किल और स्केल तीन सिद्धातों की बात करते हैं। जो इस तरह के कार्यक्रमों से साकार हो सकता है।
एक रूप से देखा जाए तो आम जनता के बीच आवाजाही द्विपक्षीय संबंध का आधार और कूंजी है। इन आवाजाहियों का विस्तार और गहन करना आपसी समझ को मज़बूत करने का सबसे अच्छा तरीका है। दो देशों के बीच रिश्ते तभी मज़बूत होते हैं, जब लोग एक दूसरे के करीब आते हैं। और दो देशों के लोग करीब आएं, इसके लिए आपको कुछ ऐसा करना की जरूरत है। अगर आपको दो देशों को पास लाना है, तो हमें लोगों के बीच आदान-प्रदान करना चाहिए। यकीनन दोनों देशों के लोग एक दूसरे के करीब आएंगे, और लोग एक दूसरे के करीब आएंगे तो देश भी पास आएंगे। चीन और भारत की जनसंख्या बहुत ज्यादा है, संस्कृति भी बहुत विविध है। जिससे दोनों देशों के आम लोगों के बीच आवाजाही के लिये बहुत से मौके मौजूद हैं।
उधर दोनों देशों के बीच आवाजाही आगे बढ़ाने की पृष्ठभूमि में और मोदी की चीन यात्रा के दौरान दोनों देशों के नेतों के बीच आवाजाही में सहयोग मज़बूत करने की आम सहमति पहुंचने के अवसर पर दोनों देशों के युवाओं के बीच आदान-प्रदान विशेष महत्व रखता है। दोनों देशों के युवा प्रतिनिधि दलों का एक दूसरे देशों का दौरा करना सही अवसर प्रतित होता है। यह चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग द्वारा पेश किया गया चीन-भारत के बीच व्यापक और बहुस्तरीय आवाजाही को आगे बढ़ाने वाले सुझाव का एक अच्छा कदम माना जा सकता है।
इस साल नवंबर में चीनी युवा प्रतिनिधि दल के 200 सदस्य भारत की यात्रा करेंगे। फिलहाल भारत सरकार के खेल मंत्रालय और चीन के ऑल चाईना यूथ लीग मिलकर इस यात्रा को सफल बनाने में जुटे हुए हैं।

No comments:

Post a Comment