Monday, 16 February 2015

आगे बढ़ने के लिए लक्ष्य का निर्धारण जरुरी




अजीत कुशवाहा 
(राष्ट्रीय युवा पुरस्कार विजेता, भारत सरकार)

हीरालाल बालिका महाविद्यालय, लखनऊ के राष्ट्रीय सेवा योजना के विशेष शिविर में “स्वामी विवेकानन्द जी” की स्मृति में विवेकानन्द केन्द्र, कन्याकुमारी शाखा- लखनऊ द्वारा युवा-सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें “सफल युवा, सशक्त भारत” विषयक व्याख्यान के साथ-साथ व्यक्तित्व विकास पर भी चर्चा हुई| इस सम्मेलन का आयोजन विवेकानन्द केन्द्र, कन्याकुमारी शाखा- लखनऊ द्वारा किया गया। इस सम्मेलन में विवेकानन्द केन्द्र, कन्याकुमारी शाखा- लखनऊ के शिवपूजन सिंह, शोभिता दीदी ने विवेकानन्द जी की जीवन शैली, विवेकानन्द स्मारक के बारे में विस्तृत जानकारी दी एवं बताया कि सफल युवा के क्या गुण होने चाहिए, अच्छी सोंच, देशभक्ति, आत्मविश्वास, सकारात्मक सोंच, समर्पण भाव आदि के साथ युवा को आगे आकर अपने राष्ट्र को एक समृद्ध राष्ट्र की संज्ञा दे सकते हैं| इन अवसर पर राष्ट्रीय युवा पुरस्कार विजेता अजीत कुशवाहा ने बताया कि हम युवा धैर्य, आत्मविश्वास, साहस, सामाजिकता और निष्ठा के द्वारा ही अपने राष्ट्र एवं समाज को सफल व सशक्त बना सकते है क्योंकि युवा ही क्रांति को सूत्रपात करने में सक्षम है। पूर्व में जितने भी क्रांतियाँ हुई है चाहे वह राजनैतिक हो सामाजिक, आर्थिक हो आध्यात्मिक इनमें युवाओं की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। एक युवा संयासी के रूप में भारतीय संस्कृति की सुगंध विदेशों में बिखरने वाले, साहित्य दर्शन और इतिहास के प्रकांड विद्वान अपनी ओज पूर्ण वाणी से लोगों के दिल को छू लेने वाले स्वामी विवेकानंद जी निःसंदेह विश्व गुरु थे | उनका मानना था कि नौजवान पीढ़ी अगर अपनी ऊर्जा का इस्तेमाल देश की तरक्की में करें तो राष्ट्र को एक नये मुकाम तक पहुचाया जा सकता है इस कार्यक्रम में महाविद्यालय की कार्यक्रम अधिकारी डा० रीता ने संक्षिप्त में युवा सन्देश देकर कार्यक्रम की समीक्षा की|  इस अवसर पर विवेकानन्द युवा मण्डल के मनोज वर्मा, आयुष जायसवाल, प्रशान्त मिश्र सहित विश्वविद्यालय की छात्राएं उपस्थित थी|

Friday, 13 February 2015

युवा में व्यक्तित्व का विकास



अजीत कुमार (राष्ट्रीय युवा पुरस्कार विजेता)


व्यक्तित्व निर्माण का सर्वोत्तम गुण सेवाभावी होना है। बिना सेवा के मानव जीवन को व्यर्थ बताया गया है। सेवा अर्थात विश्वहित में अपनी समस्त उपलब्धियों (समय, श्रम, ज्ञान, प्रतिभा धन आदि श्रेष्ठ गुणों) को लगाना, जिससे दु:ख, पीड़ा-पतन, अभाव रोग शोक से ग्रसित समुदाय को राहत मिल सके। सेवाभाव युवाओं का स्वाभाविक गुण है, किसी भी सार्वजनिक आयोजनों में श्रममूलक कार्य युवा ही करता है। इससे जहाँ आपको आत्मिक शांति मिलती है वहीं सामने वाला हृदय से शुभकामना देता है। बड़ो का यह आशीर्वाद आपके व्यक्तित्व को निखारता है। अत: हर क्षण सेवा का अवसर तलासें, आप से जो निःस्वार्थ सहयोग हो सके प्रदान करें, कभी पीछे न हटें। सेवा कार्य के लिये किसी की प्रतीक्षा की आवश्यकता नहीं आप चाहें तो हर क्षण, हर जगह सेवा का अवसर खुला है। देखना यह है कि आपकी अपनी रूचि किस तरह की सेवा कार्य के लिये है। नजर दौड़ाकर देखेंगे तो अपने आसपास ही ढेरों कार्य दिख पड़ेंगे। इस प्रकार यदि आज का युवा वर्ग सेवाभाव को अपना स्वभाव का अंग बना ले तो हमारे राष्ट्र को सुखी राष्ट्र बनने से कोई नहीं रोक सकता। 

Wednesday, 4 February 2015

युवा वर्ग के आदर्श योद्धा स्वामी विवेकानन्द


अजीत कुमार

लखनऊ विश्वविद्यालय के शिक्षाशास्त्र विभाग में आयोजित “युवाओं के प्रेरणा स्रोत, युवा वर्ग के आदर्श योद्धा स्वामी विवेकानन्द जी” की स्मृति में युवा-सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें “सफल युवा, सशक्त भारत” विषयक व्याख्यान पर चर्चा हुई| इस सम्मेलन का आयोजन विवेकानन्द केन्द्र, कन्याकुमारी शाखा- लखनऊ द्वारा किया गया। इस सम्मेलन में कन्याकुमारी से आयी वक्ता बहन निवेदिता ने विवेकानन्द जी की जीवन शैली, विवेकानन्द स्मारक के बारे में विस्तृत जानकारी दी एवं बताया कि सफल युवा के क्या गुण होने चाहिए, अच्छी सोंच, देशभक्ति, आत्मविश्वास, सकारात्मक सोंच, समर्पण भाव आदि के साथ युवा को आगे आकर अपने राष्ट्र को एक समृद्ध राष्ट्र की संज्ञा दे सकते हैं| इन अवसर पर राष्ट्रीय युवा पुरस्कार विजेता अजीत कुशवाहा ने युवाओं को बताया कि हम युवा धैर्य, आत्मविश्वास, साहस, सामाजिकता और निष्ठा के द्वारा ही अपने राष्ट्र एवं समाज को सफल व सशक्त बना सकते है क्योंकि युवा ही क्रांति को सूत्रपात करने में सक्षम है। पूर्व में जितने भी क्रांतियाँ हुई है चाहे वह राजनैतिक हो सामाजिक, आर्थिक हो आध्यात्मिक इनमें युवाओं की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। शिक्षाशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष डा० मंजू बाला ने अपने वक्तव्य में बताया कि एक युवा संयासी के रूप में भारतीय संस्कृति की सुगंध विदेशों में बिखरने वाले, साहित्य दर्शन और इतिहास के प्रकांड विद्वान अपनी ओज पूर्ण वाणी से लोगों के दिल को छू लेने वाले स्वामी विवेकानंद जी निःसंदेह विश्व गुरु थे | उनका मानना था कि नौजवान पीढ़ी अगर अपनी ऊर्जा का इस्तेमाल देश की तरक्की में करें तो राष्ट्र को एक नये मुकाम तक पहुचाया जा सकता है इस कार्यक्रम में लखनऊ विश्वविद्यालय की हिंदी विभाग की डा० अल्का ने संक्षिप्त में युवा सन्देश देकर कार्यक्रम की समीक्षा की|  इस अवसर पर विवेकानन्द केन्द्र, कन्याकुमारी शाखा- लखनऊ के समन्वयक अश्वनी राय, शिवपूजन सिंह, आयुष जायसवाल, प्रशान्त मिश्र सहित विश्वविद्यालय के कई विभागों के शिक्षको के साथ-साथ अन्य महाविद्यालयों जे०एन०पी०जी० कॉलेज, नेशनल कॉलेज, गुरुनानक, नवयुग कॉलेज के छात्र-छात्राएं उपस्थित थे|