Thursday, 9 October 2014

काश, नो स्मोकिंग सच हो जाता............


                                                                                                                                                                                                                                                           अजीत कुमार                                                                                       

         धूम्रपान, नशा, सिगरेट, पान-मसाला इत्यादि गम्भीरता के साथ युवाओं से लेकर किशोरों तक में धीरे-धीरे अपनी धाक जमाते चले जा रहे हैं। इस तहजीब के शहर लखनऊ लोग यह भी नहीं जानते कि वह बस मे यात्रा कर रहे हैं या सार्वजनिक स्थान पर अथवा हमारे पड़ोस में बैठे व्यक्ति को स्मोकिंग की वजह से परेशानी हो रही है। यहाँ तक की लोग बस में बैठकर पान-मसाला थूकते हैं जो कि दूसरों के ऊपर तक आ जाता है या रेलवे स्टेशन, अस्पताल, कालेज यहाँ तक कि मन्दिरों के आस-पास भी पान- मसाले की पीक मार देते हैं।


        धूम्रपान खुद के लिये तो हानिकारक है ही लेकिन पास में बैठे व्यक्ति के लिये उससे भी ज्यादा हानिकारक है। सिगरेट इत्यादि में पहले की अपेक्षा अब तक काफी बदलाव आ गये हैं जो कि अब कई गुना ज्यादा खतरनाक हो गई है। सरकार ने इसे रोकने के लिये कई यतन किये लेकिन यह सम्भव नही हो सका जिसके उपरान्त सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम 2003 एक सराहनीय व्यापक तम्बाकू नियन्त्रण कानून है। ऐसा व्यापक तम्बाकू नियन्त्रण कानून विश्व के कुछ ही देशों में है, परन्तु इसका परिपालन बहुत ही कमजोर तरीकों से किया जा रहा है। 

            किसी भी शैक्षिक संस्थान के 100 गज के भीतर तम्बाकू विक्रय पर प्रतिबन्ध है, लेकिन ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है। कई सार्वजनिक स्थान जो कि नो स्मोकिंग जोन की श्रेणी में आते हैं। वहाँ पर धूम्रपान रोकने के लिये केवल एक स्टीकर मात्र है न तो सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम 2003 के अन्तर्गत कोई जुर्माना वसूलने का प्राविधान है और न ही लोगों में समझदारी है। स्मोकिंग के द्वारा हम सिर्फ अपने घर-समाज, शहर को ही नहीं बल्कि अपने आप को भी दूषित करते हैं। 
               एक अप्रैल २०१३ से नए एवं प्रभावी, लुभावने विज्ञापन जो कि युवा पीढ़ी को अपनी ओर आकर्षित करते है इन सबसे बचने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा तम्बाकू उत्पादों पर चित्रमय चेतावनी लागू कर दी गई जो कि एक सराहनीय कदम है लगभग सभी सरकारी एवं गैर-सरकारी कार्यालयों के अन्दर नो स्मोकिंग का स्टीकर व तख्ती तो नजर आती है परन्तु इसके साथ-साथ वहां के कर्मचारी एवं अधिकारी भी स्मोकिंग करते नजर आते हैं इसे रोकने के लिये जरुरत है जागरूकता की और अपनी जिम्मेदारी निभाने की ताकि हम एक अच्छे एवं स्वच्छ समाज का निर्माण कर सके इसे रोकने के लिए सरकार द्वारा व्यापक कदम उठाये जायें तथा विज्ञापन एवं दुष्परिणाम पर विशेष ध्यान दिया जाये वास्तव में स्मोकिंग एवं शराब पर प्रतिबन्ध लगाना मानव जाति के लिए अत्यंत हितकारी होगा। 
  (अजीत कुशवाहा महामहिम राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी द्वारा सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता हैं.)
                                                       

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