अजीत कुमार
हम सब जानते हैं कि भारत एक प्रजातांत्रिक देश है। आज भारत में दूसरे देशों से सबसे ज्यादा युवा बसते हैं। युवा वर्ग वह वर्ग होता है जिसमें 14 वर्ष से लेकर 40 वर्ष तक के लोग शामिल होते हैं| भारत निर्वाचन आयोग के मतदाता जागरूकता से लेकर, भ्रष्टाचार के
खिलाफ अन्ना के आन्दोलन तक, गोमती सफाई अभियान
से लेकर पर्यावरण संरक्षण तक, कन्या भ्रूण हत्या हो या महिला हिंसा के विरुद्ध
अपनी आवाज उठाने के लिए युवाओं की सबसे ज्यादा सहभागिता है| आज भारत देश में इस आयु के लोग सबसे बड़ी संख्या में मौजूद है। यह एक ऐसा वर्ग है जो शारीरिक एवं मानसिक रूप से सबसे ज्यादा ताकतवर है। जो देश और अपने परिवार के विकास के लिए हर संभव प्रयत्न करते हैं।
देश जितना व्यापक शब्द है, उससे भी अधिक व्यापक है यह सवाल की
देश कौन बनाता है? नेता, सरकारी कर्मचारी, शिक्षक, विद्यार्थी, मजदूर, वरिष्ठ नागरिक, साधारण नागरिक... आखिर कौन? शायद यह सब मिलकर देश बनाते होंगे.... लेकिन फिर भी एक और प्रश्न यह है कि
इनमे से सर्वाधिक भागीदारी है किसकी? तब तत्काल दिमाग में विचार आता है कि इनमें से कोई नहीं, बल्कि वह समूह जिसका जिक्र तक नहीं
हुआ...... बात हो रही है युवाओं की.... देश बनाने की जिम्मेदारी सर्वाधिक
युवाओं पर है और वे बनाते भी है|
लोकतंत्र के निर्माता और
भाग्य विधाता यह युवा वर्ग ही है, इसलिए जहाँ एक तरफ भारत के लिए ख़ुशी की बात है, कि हमारी जनसँख्या का 60 प्रतिशत से अधिक हिस्सा
युवाओं का है..... जो वर्ग सामाजिक, शारीरिक, मानसिक सभी रूपों में सर्वाधिक सक्रिय
रहता है, किसी भी देश को बनाने में
या लोकतंत्र के निर्माण में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका इस युवा वर्ग की है, लेकिन सभी बुराइयों को युवाओं पर थोप देना उचित नहीं है, क्योंकि हर एक गलती का जिम्मेदार यह
युवा वर्ग ही नहीं बल्कि और लोग भी है, क्या कभी किसी ने युवाओं के हालात पर गौर करने की कोशिश की? क्या कभी इन युवाओं की भावनाओं को समझने की कोशिश की? नहीं.....
हमें अपने वर्तमान और भविष्य को समझने
से पहले अपने इतिहास को जानना होगा| युवा ही वर्तमान का निर्माता एवं भविष्य का नियामक होता है, आज भारत ने अन्य देशों की तुलना में अच्छी खासी प्रगति की है। इसमें सबसे बड़ा योगदान शिक्षा का है। आज भारत का हर युवा अच्छी से अच्छी शिक्षा पा रहा है। उन्हें पर्याप्त रोजगार के अवसर मिल रहे हैं, आज भारत का युवा वर्ग ऊंचाईयों को छू रहा है | हमारी युवा शक्ति को देखकर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर की गई भविष्यवाणी में
कहा गया कि हम जल्द ही एक पूर्ण विकसित राष्ट्र में तब्दील हो जायेंगे, भारत विश्व
की महान सैन्य और आर्थिक शक्ति बन जायेगा |
वर्तमान में
भारत के युवाओं की आबादी दुनिया में सबसे ज्यादा है| संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में भारत इस समय सबसे युवा देश है, यहाँ 35.6 करोड़ आबादी युवा है जबकि युवाओं की
आबादी में दूसरे स्थान पर चीन 26.9 करोड़ युवाओं के साथ है| रिपोर्ट के अनुसार चीन की कुल आबादी से भारत की
जनसँख्या कम होने के बावजूद भी भारत में सबसे ज्यादा युवा है भारत में 28 प्रतिशत आबादी की आयु 10 वर्ष से 24 वर्ष के बीच है|
संयुक्त राष्ट्र जनसँख्या कोष (यूएनएफपीए) की विश्व जनसँख्या
रिपोर्ट के अनुसार विकासशील देशों में सबसे ज्यादा युवाओं को संख्या है| इस युवा शक्ति में शिक्षा, स्वास्थ्य का निवेश करके
अर्थव्यवस्थाओं को विस्तार दिया जा सकता है| युवाओं को उनके अधिकार दिए जाने भी जरूरी हैं क्योकि ये अपना भविष्य पाने में
तभी सक्षम होंगे जब उनके पास कौशल, निर्णय लेने की क्षमता और जीवन में बेहतर विकल्प मौजूद होंगे| आज के समय में दुनिया में 1.8 अरब युवा है जिनके पास दुनिया बदलने
का उत्तम अवसर है| दुनिया के पास पहले इतने
युवा कभी नहीं थे|
राष्ट्र
चेतना के कीर्ति पुरुष, युवा वर्ग के आदर्श योद्धा स्वामी विवेकानन्द युवा पीढ़ी के लिये प्रेरणा का
स्रोत हैं, एक युवा संयासी के रूप में भारतीय संस्कृति की सुगंध विदेशों में बिखरने वाले, साहित्य दर्शन और इतिहास
के प्रकांड विद्वान अपनी ओज पूर्ण वाणी से लोगों के दिल को छू लेने वाले स्वामी
विवेकानंद जी निःसंदेह विश्व गुरु थे | स्वामी विवेकानंद जी ने राष्ट्र
निर्माण में युवाओं की भूमिका को महत्वपूर्ण माना है, उनका मानना था कि नौजवान
पीढ़ी अगर अपनी ऊर्जा का इस्तेमाल देश की तरक्की में करें तो राष्ट्र को एक नये
मुकाम तक पहुचाया जा सकता है क्योकि युवा ही वर्तमान का निर्माता एवं भविष्य का
नियामक होता है | देश की युवा पीढ़ी पर उनकी विशेष आस्था थी, उन्होंने कहा था- “तुम सबका जन्म
ही इसीलिए हुआ हैं अपने में विश्वास रखो महान आत्म विश्वास से ही महान कार्य
संपन्न होते हैं, निरंतर आगे बढ़ते रहो|”
स्वामी
विवेकानंद जी का युवाओं के लिये सन्देश था कि अपने मन और शरीर को स्वस्थ बनाओ ताकि
धर्म अध्यात्म ग्रंथों में बताये आदर्शों में आचरण कर सको, इसके साथ- साथ आज के
युवाओं में जरुरत है ताकत की और आत्म-विश्वास की, फौलादी शक्ति और अदम्य
मनोबल की| उनका मानना था कि शिक्षा ही एक ऐसा आधार है, जिसके द्वारा राष्ट्र को
नये मुकाम तक पहुचाया जा सकता क्योकि जब तक देश की रीढ़ “युवा” अशिक्षित
रहेंगे तब तक देश आज़ादी मिलना गरीबी हटाना कठिन होगा, इसलिए उन्होंने अपनी
ओजपूर्ण वाणी से सोये हुये युवकों को जगाने का कार्य शुरू कर दिया|
विश्व में जितने भी महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए
हैं उसमें सभी में युवाओं के लगन और बलिदान का अतुलनीय योगदान रहा है| शायद इसलिए
कहा जाता है- जिस ओर जवानी चलती है, उस ओर जवानी चलती है| हमारी युवा शक्ति
देश की तक़दीर और तस्वीर बदलने का जज्बा रखती है| एक नया आइना दिखाने की क्षमता
रखती है| अनुभवी लोगो का मार्गदर्शन हमारी युवा शक्ति को अपनी सकारात्मक ऊर्जा
राष्ट्र हित में लगाने को प्रेरित करता है |
समय का चक्र कभी थमता नहीं और उसी के अनुरूप हमेशा परिवर्तन भी होते रहते है
क्योकि युवा हमेशा प्रगति एवं बदलाव की ओर सक्रिय रहते हैं| एक सुदृढ़, संगठित और
उन्नत राष्ट्र का निर्माण करने के लिए, भारत को पुनः विश्व-गुरु की भूमिका में
स्थापित करने के लिए युवाओं को अपना सब कुछ राष्ट्र को समर्पित करना होगा, आने
वाले समय में राष्ट्र एवं लोकतंत्र में युवाओं का प्रतिनिधित्व रहना भी तय है|
हमें अपनी सोंच और विचारों से उन नए अवसरों की तलाश करनी होगी जो न केवल स्वयं को
आगे बढाने में बल्कि दूसरों को आगे बढ़ने मददगार साबित होगी| इस कार्य के साथ-साथ
युवाओं को अपनी नैतिकता का ध्यान रखना होगा|
समस्त भारतीय युवाओं को यह संकल्प लेना होगा कि राष्ट्र के सन्मुख आज जितनी भी
चुनौतियां है हम उनका डटकर सामना करेंगे | युवाओं को अपनी भारतीय संस्कृति का
ध्यान रखते हुए, समाज के ज्वलन्त मुद्दों पर गहन चिंतन के साथ प्रतिक्रिया करने की
जरुरत है ताकि हम अपने देश, समाज एवं राष्ट्र को नये रूप में देख सकें | सर जेम्स के
शब्दों में “युवा ऐसा पक्षी है जो टूटे हुए अंडे और बेबसी से स्वन्त्रता और आशा
के खुले असमान में पंख फैला रहा है क्योकि युवा खोज और सपनों के द्वारा अपने देश
को समृद्धि प्रदान कर सकता है|” किसी भी कार्य में सफलता की उम्मीदे उस समय और
फलीभूत होने लगती है, जब उसमे योग्य व्यक्तियों के अनुभव का समावेश कर लिया जाए|
स्वन्त्रता के पश्चात् देश और सामाज का नेतृत्व करने वालों का दायित्व था कि लोगो
को अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक, शिक्षित और प्रशिक्षित करना लेकिन नेतृत्वकर्ताओ ने हमें इससे वंचित कर दिया|
सरदार भगतसिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, अशफाक़ उल्ला खां, राजेन्द्र लाहिड़ी, रोशनसिंह
आदि क्रान्तिकारी जो देश की स्वतंत्रता के नाम पर मर मिटे, इन्होंने देशभक्ति को
कभी अपना पेशा नहीं बनाया, ऐसे क्रांतिकारी जो हमारे आदर्श है हमें उनके चरित्र
एवं आचरण की श्रेष्ठता को अपने कर्तव्यों के माध्यम से जीवन में अपनाना होगा|
वर्तमान स्थिति में देश को आवश्यकता है हमारे कठोर परिश्रम व कर्तव्यपालन की जिसके
द्वारा हम समर्थ स्वराज के निर्माण में सहयोग कर सकें क्योकि युवाओं का हुजूम अपने
ताकत एवं बल के द्वारा राष्ट्र और समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूरकर सफल
राष्ट्र के निर्माण की संज्ञा दे सकते हैं|
इसी का मुख्य कारण है कि आज भी कई तरह के जागरूकता कार्यक्रम, प्रेरक-भाषण,
देश-भक्ति के विचार कहीं गली मुहल्लों में नहीं बल्कि कालेजों एवं विश्वविद्यालयों
में दिए जाते हैं जहाँ पर युवाओं को फ़ौज होती है और उसमे नए विचारों को अमल करने
की उत्सुकता होती है| यही कारण है कि अन्ना-हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी अनसन में
युवा वर्ग अपने कालेजों को छोड़कर अन्ना जी के समर्थन में सड़क पर आ गये, वही 16 वीं
लोकसभा चुनाव में लोकतंत्र के निर्माण में अधिकतर युवाओं ने मतदान करके अपनी
भागीदारी एवं सहभागिता का जिम्मा सम्भाला |
“मुश्किल जरुर है मगर ठहरा नहीं हूँ मै, मन्जिल से जरा कह
दो अभी पहुँचा नहीं हूँ मै ।”
अजीत कुशवाहा, (इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय एन एस एस पुरस्कार
से राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित)
विधि छात्र
(के०के०सी०), एम०जे० छात्र (लखनऊ जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान, लखनऊ)
Mob-
09454054207, Email- ajitkushwaha1992@gmail.com
Inspiring thoughts, beautifully written.
ReplyDeleteRealy very inspiring
ReplyDeleteRealy very inspiring
ReplyDeleteबहुत ज्ञानवर्धक लेख प्रेरणादायी तथा ऊर्जापूर्ण !!!!
ReplyDeleteबहुत ज्ञानवर्धक लेख प्रेरणादायी तथा ऊर्जापूर्ण !!!!
ReplyDeleteVery inspiring thought
ReplyDeleteBahut shaandaar 👌✌
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